Success Story

सफलता की कहानी 1

जनपद फिरोजाबाद मे विकास खण्ड अराॅव के ग्राम किसंराव के कृशक श्री षेर सिंह पुत्र श्री नेकसे सिंह को खेती मे हो रहे निरन्तर घाटे के कारण खेती करनें से मुॅह मोड़ने लगे थे। खेती को लाभप्रद बनाने व खेती से जुड़े हुये कोई अन्य व्यवसाय हेतु तकनीकी के अभाव मे एक सही दिषा नहीं प्राप्त कर पा रहे थे तब उन्हे कृशि से जुडे़ हुये व्यवसाय केचुआ पालन का तकनीकी सहयोग कृशि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों से प्राप्त हुआ साथ ही मैने केचुआ पालन का प्रषिक्षण कृशि विज्ञान केन्द्र से प्राप्त किया।

प्रषिक्षण के उपरान्त मैने रू0 15000.00 लगााकर वर्मी बैड तैयार की एवं वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन प्रारम्भ किया। मेरी मेहनत एवं लगन रंग लाई जब मुझे बैंक आफ इण्डिया से कार्य के लिये रू0 10 लाख का ऋण स्वीकृत हुआ जिससे उत्साहित होकर मैने वर्मी कम्पोस्ट का कार्य बड़े स्तर पर वर्मी बेड एवं पक्का सीमेन्ट सेड बना कर कार्य बढाया। इस समय मेरे पास 70 वर्मी बेड है। एक बेड से प्रति वर्श 16 कुन्तल वर्मी कम्पोस्ट के हिसाब से 1120 कु0 वर्मी कम्पोस्ट प्राप्त होता है और साथ ही इस वर्मी कम्पोस्ट की बिक्री हेतु रू0 5000 प्रति माह की दर से 7 ग्रामीण बेरोजगार युवाओं को सेल्स इक्जीक्यूटिव बना कर रोजगार दिया है। वर्मी कम्पोस्ट को ग्राहकों को डोर टू डोर तक रू0 1100 प्रति कु0 की दर से बिक्री करते है। आज मै यांकि वर्मी कम्पोस्ट के नाम से अपनी बेवसाइट बनाकर माकेर्टिग का कार्य कर रहा हूॅ। इस व्यवसाय से मुझे सारे खर्चे निकाल कर पूरे वर्श मे रू0 8 लाख का षुद्ध लाभ प्राप्त होता है। साथ ही मैने अपनी खेती मे वर्मी कम्पोस्ट का प्रयोग करके 15 से 20 प्रतिषत तक उत्पादन मे वृद्धि कर ली है। अब मैने वर्मी कम्पोस्ट के अन्य उत्पाद जैसे वर्मी वास आदि का उत्पादन भी षुरू कर दिया है और मेझे आषा है कि मेरी आय मे और भी वृद्धि हो जायेगी। मेरा उत्पाद गुणवत्ता मे श्रेश्ठ होने के कारण जैविक खेती के नाम से भी जाना जाता है। मेरा मोबाइल न0 09457371411

 

 

सफलता की कहानी 2

 

 

विषयगत क्षेत्र : सब्जी उत्पादन
श्री राकेश कुमार,
ग्राम : भीकनपुर,
पोस्ट : रैपुरा जनपद-फिरोजाबाद,
पिनकोड : 283203.(उत्तर प्रदेश)
ई-मेल :
फोन/मोबाइल : 09536136252

कृषक परिचय

उम्र (वर्ष) : 34 वर्ष

शिक्षा (अधिकतम) : इण्टरमीडिएट

जोत का रकबा (हे.) : 3.0 हे0़

खेती का अनुभव (वर्ष): 7 वर्ष

उगाई जाने वाली फसलें : फूलगोभी, पत्तागोभी, मिर्च, शिमला मिर्च, अरबी, बैगन, गाजर, मूली, खीरा, लौकी, कद्दू, आलू, ब्रोकली

फसल पद्धति : सह-फसली, सघन खेती

पशुधन : 2 भैंस

उपयोगी यन्त्र : ट्रैक्टर,

वार्षिक आय (रु. मे) : 500000.00

पुरस्कार का विवरण/उपलब्धियाँ (जनपद/राज्य/राष्ट्र स्तर) : किसान सम्मान दिवस मे सब्जी उत्पादन मे (जनपद स्तरीय)

अन्वेषण का वर्णन

प्रस्तावना:

सब्जी उत्पादन की शुरूआत

अन्वेषण की उत्पत्ति/शुरूआत:

मेरे पास 3.0 हे0 जमीन है जिसमें मै फसलोत्पादन करता था लेकिन कडत्रभ् मेहनत करनें के बावजूद भी अधिक लाभ नहीं मिल पाता था। जिसके कारण मेरी आजीविका सुरक्षित नहीं थी। मैने कृषि विज्ञान केन्द्र, फिरोजाबाद से सम्पर्क किया। मेरा गांव शहर के समीप होने के कारण केन्द्र के वैज्ञानिकों ने मुझे सब्जी उत्पादन करनें का सुझाव दिया। जिससे पे्ररित होकर मैने अपनी 3.0 हे0 जमीन पर सब्जी उत्पादन करना शुरू किया। जायद मे खीरा, तोरई तथा लौकी एवं रबी मे पातगोभी, फूलगोभी, गाजर, मूली आदि कर रहा हूॅ।

अन्वेषण की उपयोगिता

.सब्जियो की सघन खेती करनें से ज्यादा लाभ होता है क्योकि एक फसल खराब होने से नुकसान की भरपाई दूसरी फसलसे हो जाती है। शहर के नजदीक होने का लाभ मिलना।.

 

सामाजिक एवं आर्थिक विश्लेषण

आर्थिक समृद्धि होने से मेरी सामाज मे प्रतिष्ठा बढी जिससे मुझे लोगों द्वारा सम्मान दिया जाता है। मेरे कार्य से प्रभावित होकर मुझे किसान सम्मान से पुरस्कृत किया गया। साथ ही आस-पास के गावों के किसान भी सब्जी उन्पादन कर अपने सामाजिक स्तर को निरन्तर बढ़ा रहे है।

 

अन्वेषण का प्रचार-प्रसार आंकणों सहित

इनके सब्जी उत्पादन के उपरान्त आस-पास के गावों व नारखी एवं हाथवन्त ब्लाक के लगभग 10 गांवों मे सब्जी का उत्पादन 90.0 हे0 क्षेत्रफल पर हो रहा है। और संकर सब्जियो के उत्पादन को बढावा मिल रहा है।

 

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